Delhi
oi-Bhavna Pandey
Delhi
Private
School
Fees
Determination
Committee:
दिल्ली
सरकार
ने
निजी
स्कूलों
में
मनमानी
फीस
बढ़ोतरी
पर
लगाम
लगाने
के
लिए
एक
अहम
कदम
उठाया
है।
दिल्ली
शिक्षा
विभाग
ने
शैक्षणिक
सत्र
2025-26
के
लिए
स्कूल
लेवल
फीस
रेगुलेशन
कमेटी
(SLFRC)
के
गठन
और
संचालन
को
लेकर
गाइडलाइन
जारी
की
है।
इस
पहल
का
उद्देश्य
राष्ट्रीय
राजधानी
क्षेत्र
दिल्ली
में
स्कूल
फीस
तय
करने
और
विनियमित
करने
में
पारदर्शिता
बढ़ाना
तथा
निजी
स्कूलों
की
मनमानी
फीस
वृद्धि
पर
शिकंजा
कसना
है।
दिल्ली
के
शिक्षा
मंत्री
आशीष
सूद
ने
जानकारी
दी
कि
यह
कदम
दिल्ली
स्कूल
शिक्षा
(शुल्क
निर्धारण
और
विनियमन
में
पारदर्शिता)
अधिनियम,
2025
और
उसके
संबंधित
नियमों
के
तहत
उठाया
गया
है।
यह
अधिनियम
और
नियम
10
दिसंबर
2025
को
अधिसूचित
किए
गए
थे।
उन्होंने
व्यक्त
किया
कि
इस
निर्णय
से
अभिभावकों
को
बड़ी
राहत
मिलने
की
उम्मीद
है।

मंत्री
ने
स्पष्ट
किया
कि
अब
कोई
भी
स्कूल
मनमाने
ढंग
से
फीस
नहीं
बढ़ा
पाएगा।
यदि
फीस
में
वृद्धि
आवश्यक
है,
तो
समिति
के
समक्ष
एक
वैध
कारण
और
उसका
प्रस्ताव
प्रस्तुत
करना
होगा।
सूद
ने
एक
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
के
दौरान
कहा,
“सरकार
प्रत्येक
बच्चे
के
हित
में
एक
संतुलित
समाधान
में
विश्वास
रखती
है।
टकराव
की
राजनीति
हमारी
नीति
नहीं
है।”
शैक्षणिक
सत्र
2025-26
के
लिए
प्रभावी
होगा
शिक्षा
निदेशालय
ने
इस
संबंध
में
एक
आदेश
जारी
किया
है।
यह
आदेश
अधिनियम
की
धारा
2(13)
में
परिभाषित
प्रत्येक
‘स्कूल’
पर
लागू
होगा
और
शैक्षणिक
सत्र
2025-26
के
लिए
प्रभावी
है।
आदेश
में
कहा
गया
है
कि
अधिनियम
का
मुख्य
उद्देश्य
स्कूलों
में
फीस
के
निर्धारण
और
विनियमन
में
पारदर्शिता
लाना
है।
मनमाने
ढंग
से
फीस
नहीं
बढ़ा
सकेंगे
स्कूल
मंत्री
ने
बताया
कि
यह
कानून
दिल्ली
स्कूल
शिक्षा
अधिनियम,
1973
के
पूरक
उपाय
के
रूप
में
कार्य
करता
है।
इसके
प्राथमिक
उद्देश्य
फीस
के
निर्धारण
में
पारदर्शिता,
जवाबदेही
और
समयबद्ध
निर्णयों
को
सुनिश्चित
करना
है,
साथ
ही
अभिभावकों
के
हितों
की
रक्षा
करना
भी
है।
समिति
गठन
की
समयसीमा
एवं
नियम
-
सरकार
ने
समिति
के
गठन
के
लिए
विस्तृत
समय-सीमा
और
नियम
निर्धारित
किए
हैं।
इसके
अनुसार,
सभी
निजी
विद्यालयों
को
10
जनवरी,
2026
तक
अनिवार्य
रूप
से
एसएलएफआरसी
का
गठन
करना
होगा। -
समिति
के
अध्यक्ष
और
सदस्यों
के
नाम
स्कूल
के
नोटिस
बोर्ड
और
वेबसाइट
पर
सार्वजनिक
रूप
से
प्रदर्शित
किए
जाएंगे। -
5
अभिभावक
प्रतिनिधि
और
3
शिक्षक
प्रतिनिधि
का
चयन
लॉटरी
(ड्रॉ
ऑफ
लॉट्स)
के
माध्यम
से
किया
जाएगा।
ड्रॉ
की
तारीख,
समय
और
स्थान
की
जानकारी
कम
से
कम
7
दिन
पहले
सार्वजनिक
करनी
होगी। -
स्कूल
प्रबंधन
को
25
जनवरी,
2026
तक
प्रस्तावित
शुल्क
संरचना
समिति
को
प्रस्तुत
करनी
होगी। -
समिति
को
30
दिनों
के
भीतर
फीस
प्रस्ताव
पर
कारणों
सहित
निर्णय
लेना
अनिवार्य
है। -
नियमों
का
पालन
न
करने,
देरी
करने
या
मनमानी
करने
पर
कानूनी
कार्रवाई
की
जाएगी। -
यह
आदेश
तत्काल
प्रभाव
से
लागू
हो
गया
है
और
इसके
कड़ाई
से
अनुपालन
के
निर्देश
दिए
गए
हैं।
समिति
में
से
पांच
सदस्य
अभिभावकों
के
प्रतिनिधि
होंगे
यह
ध्यान
देने
योग्य
है
कि
11
सदस्यीय
समिति
में
से
पांच
सदस्य
अभिभावकों
के
प्रतिनिधि
होंगे,
जबकि
शेष
सदस्य
स्कूल
प्रबंधन
और
शिक्षकों
का
प्रतिनिधित्व
करेंगे।
फीस
वृद्धि
से
संबंधित
सभी
प्रस्तावों
को
25
जनवरी,
2026
तक
समिति
के
समक्ष
प्रस्तुत
करना
अनिवार्य
है।
अभिभावकों
की
शिकायतों
का
निवारण
करेंगी
समिति
इन
प्रस्तावों
पर
चर्चा
कर
अपनी
सिफारिशें
देगी,
जिसके
बाद
अंतिम
निर्णय
लिया
जाएगा।
इसके
अतिरिक्त,
शुल्क
नियंत्रण
समितियां
केवल
स्कूल
स्तर
पर
ही
नहीं,
बल्कि
जिला
स्तर
पर
भी
गठित
की
जाएंगी।
ये
समितियां
किसी
भी
अनियमितता
की
निगरानी
करेंगी
और
अभिभावकों
की
शिकायतों
का
निवारण
करेंगी।
यह
भी
निर्देश
दिया
गया
है
कि
शैक्षणिक
वर्ष
2026-27
से
आगे,
अधिनियम
और
नियमों
में
स्पष्ट
रूप
से
निर्दिष्ट
की
गई
सभी
समय-सीमाओं
का
अत्यंत
कड़ाई
के
साथ
पालन
करना
अनिवार्य
होगा,
ताकि
व्यवस्था
में
निरंतरता
और
सटीकता
बनी
रहे।
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