Himachal Pradesh
oi-Sohit Kumar
Himachal
Pradesh
News:
कुत्तों
की
वफादारी
पर
पहले
भी
कोई
शक
नहीं
था
और
आज
भी
कोई
संदेह
नहीं
है।
हिमाचल
की
पहाड़ियों
में
जब
आधी
रात
को
आसमान
से
तबाही
बरस
रही
थी,
तब
एक
डॉगी
ने
63
जिंदगियों
को
मौत
की
नींद
सुलने
से
बचा
लिया।
मंडी
जिले
के
सियाथी
गांव
में
तेज
बारिश
और
भूस्खलन
के
बीच
एक
पालतू
कुत्ते
‘रॉकी’
की
चेतावनी
ने
जो
किया,
वो
किसी
चमत्कार
से
कम
नहीं
था।
रॉकी
ने
अचानक
जोर-जोर
से
भौंकना
शुरू
कर
दिया।
आवाजें
इतनी
असामान्य
थीं
कि
मालिक
ललित
कुमार
की
नींद
टूट
गई।
नीचे
उतरकर
उन्होंने
देखा-घर
की
दीवार
फट
चुकी
थी,
और
बारिश
का
पानी
तेजी
से
भीतर
घुस
रहा
था।
पालतू
कुत्ते
की
समय
पर
दी
गई
चेतावनी
ने
63
लोगों
की
जान
बचाई।

शोरगुल
सुनकर
उठ
गया
मालिक
यह
घटना
सियाठी
गांव
में
रात
12:30
से
1:00
बजे
के
बीच
हुई।
जैसे
ही
मूसलाधार
बारिश
ने
इलाके
को
तबाह
किया,
एक
घर
की
निचली
मंजिल
पर
सो
रहा
एक
कुत्ता
असामान्य
रूप
से
भौंकने
लगा।
उसके
मालिक
ललित
कुमार
जब
शोरगुल
सुनकर
उठे
–
तो
उन्होंने
देखा
कि
दीवार
में
एक
बड़ी
दरार
है।
‘ऐसा
लगा
कि
मानो
वह
मुझे
चेतावनी
दे
रहा
हो’
ललित
ने
कहा
कि,
‘मेरे
कुत्ते
के
अजीब
तरह
से
भौंकने
की
आवाज
सुनकर
मेरी
नींद
खुल
गई,
मानो
वह
मुझे
चेतावनी
दे
रहा
हो।’
‘जब
मैं
उसके
पास
पहुंचा,
तो
मैंने
देखा
कि
दीवार
में
एक
बड़ी
दरार
है
और
पानी
अंदर
आ
रहा
है।’
ललित
तुरंत
अन्य
लोगों
को
किया
अलर्ट
ललित
तुरंत
दूसरी
मंजिल
से
नीचे
भागा,
कुत्ते
को
उठाया
और
अपने
परिवार
और
आस-पास
के
गांव
वालों
को
जगाना
शुरू
कर
दिया।
अपने
ऊंचे
घर
से,
वह
भूस्खलन
और
पानी
को
गांव
की
ओर
बहते
हुए
देख
सकता
था।आसन्न
खतरे
को
भांपते
हुए,
ललित
घर-घर
दौड़ा
और
निवासियों
को
सचेत
किया।
उसके
प्रयासों
की
बदौलत,
सभी
22
परिवार
अपने
घर
और
सामान
छोड़कर
सुरक्षित
स्थान
पर
भागने
में
सफल
रहे।
कुछ
ही
मिनट
में
ढह
गए
दर्जनों
घर
कुछ
ही
मिनटों
बाद,
गांव
में
एक
भीषण
भूस्खलन
हुआ,
जिससे
लगभग
एक
दर्जन
घर
ढह
गए।
केवल
चार
या
पांच
इमारतें
ही
दिखाई
दे
पाईं,
जबकि
6-7
घर
पूरी
तरह
से
मलबे
में
दब
गए
और
कई
अन्य
को
भारी
नुकसान
पहुंचा।
इस
घटना
में
सभी
63
ग्रामीण
बिना
किसी
नुकसान
के
बच
गए।
यह
उपलब्धि
कुत्ते
की
सतर्कता
और
मालिक
की
त्वरित
प्रतिक्रिया
का
परिणाम
थी।
इंडिया
टुडे
से
बात
करते
हुए
ललित
ने
बताया
कि
रॉकी
पांच
महीने
का
है
और
उसे
लगभग
तीन
महीने
पहले
मंडी
के
संधोल
में
उसके
भाई
से
मिला
था।
निवासियों
को
बचाने
और
सचेत
करने
के
बाद,
रॉकी
फंस
गया
और
बाद
में
उसे
बचाना
पड़ा।
गांव
के
पूर्व
सरपंच
देसराज
ने
कहा
कि,
‘यह
हमारी
किस्मत
और
कुत्ते
की
मेहनत
थी
जिसने
हमें
बचा
लिया।’
प्रभावित
परिवारों
ने
घटनास्थल
से
लगभग
500
मीटर
दूर,
त्रियंबला
गांव
के
नैना
देवी
मंदिर
में
शरण
ली
है।
वे
वहां
एक
हफ़्ते
से
ज़्यादा
समय
से
रह
रहे
हैं।
