Uttar Pradesh
oi-Pravin Kumar Yadav
Pandit
Chhannulal
Mishra:
शास्त्रीय
संगीत
की
दुनिया
ने
गुरुवार
सुबह
एक
बड़े
कलाकार
को
खो
दिया।
89
वर्षीय
पद्मविभूषण
पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
गुरुवार
को
सुबह
4.15
बजे
मिर्जापुर
में
अपनी
बेटी
नम्रता
के
घर
आखिरी
सांस
ली।
उनके
निधन
के
बाद
बनारस
में
शोक
का
माहौल
है।
उनकी
गायकी
सदाबहार
रही।
‘खेले
मसाने
में
होली…’
जैसी
तान
आज
भी
लोगों
की
जुबां
पर
गूंजती
है।
काशी
वासियों
का
कहना
है
कि
उनके
सुर
और
गायकी
का
जादू
कभी
नहीं
भुलाया
जा
सकता।
निधन
के
बाद
वाराणसी
ही
नहीं
भारत
के
कई
हिस्सों
में
लोग
उन्हें
याद
कर
रहे
हैं।

पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
के
पीछे
चार
बेटियां
और
एक
बेटा
हैं।
उनकी
पत्नी
और
एक
बेटी
का
4
साल
पहले
निधन
हो
चुका
था।
उनकी
बेटी
नम्रता
मिश्रा
ने
निधन
के
बारे
में
सूचना
दी
और
बताया
कि
उनका
अंतिम
संस्कार
आज
शाम
काशी
के
मणिकर्णिका
घाट
पर
किया
जाएगा।
पीएम
मोदी
और
योगी
ने
जताया
दुख
2014
में
पंडित
जी
प्रधानमंत्री
मोदी
के
लोकसभा
चुनाव
में
प्रस्तावक
रहे
थे।
उनके
निधन
पर
पीएम
मोदी
और
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
ने
शोक
व्यक्त
किया।
संगीत
जगत
और
राजनीतिक
क्षेत्र
दोनों
द्वारा
उन्हें
याद
किया
जा
रहा
है।
दरअसल,
पिछले
सात
महीने
से
पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
की
तबीयत
खराब
थी।
हाल
ही
में
उन्हें
17
दिन
के
लिए
अस्पताल
में
भर्ती
रहना
पड़ा।
11
सितंबर
को
मिर्जापुर
में
बेटी
के
घर
अचानक
सीने
में
दर्द
हुआ
और
उन्हें
तत्काल
अस्पताल
ले
जाया
गया।
इसके
बाद
13
सितंबर
की
रात
उन्हें
बनारस
के
सर
सुंदरलाल
अस्पताल
में
भर्ती
किया
गया।
अस्पताल
में
भर्ती
रहने
के
दौरान
कई
नेता
उनका
स्वास्थ्य
जानने
अस्पताल
में
भी
पहुंचे
थे।
तबीयत
में
सुधार
होने
पर
27
सितंबर
को
डिस्चार्ज
किया
गया
और
वे
फिर
मिर्जापुर
लौट
गए।
आजमगढ़
के
हरिहरपुर
में
हुआ
था
जन्म
पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
का
जन्म
3
अगस्त
1936
को
आजमगढ़
जिले
के
हरिहरपुर
में
हुआ।
उनके
दादा
गुदई
महाराज
शांता
प्रसाद
प्रसिद्ध
तबला
वादक
थे।
छह
साल
की
उम्र
में
उन्होंने
अपने
पिता
से
संगीत
की
बारीकियां
सीखना
शुरू
किया।
नौ
साल
की
उम्र
में
उनके
पहले
गुरु,
किराना
घराने
के
उस्ताद
अब्दुल
गनी
खान
ने
उन्हें
खयाल
सिखाया।
इसके
बाद
ठाकुर
जयदेव
सिंह
ने
उनकी
शिक्षा
को
आगे
बढ़ाया।
बचपन
से
ही
उनके
भीतर
संगीत
के
प्रति
गहरी
लगन
थी।
बिहार
के
मुजफ्फरपुर
से
संगीत
की
शिक्षा
करीब
चार
दशक
पहले
पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
वाराणसी
आए।
यहां
उन्होंने
अपने
संगीत
सफर
को
और
तेज
किया।
ठुमरी,
खयाल,
भजन,
दादरा,
कजरी
और
चैती
जैसी
शास्त्रीय
और
लोक
विधाओं
में
उनका
अनोखा
मिश्रण
देश-दुनिया
में
मशहूर
हुआ।
बिहार
के
मुजफ्फरपुर
से
संगीत
की
शिक्षा
लेने
वाले
पंडित
जी
ने
बनारस
में
शास्त्रीय
और
लोक
संगीत
का
अनोखा
संगम
पेश
किया।
उनकी
गायकी
में
भाव
और
राग
की
गहराई
सुनने
वालों
को
मंत्रमुग्ध
कर
देती
थी।
कोरोना
काल
में
लगा
था
बड़ा
सदमा
पंडित
जी
की
पत्नी
मनोरमा
मिश्र
का
26
अप्रैल
2021
को
निधन
हो
गया
था।
इसके
कुछ
दिनों
बाद
उनकी
बड़ी
बेटी
संगीता
मिश्रा
का
29
अप्रैल
2021
को
निधन
हुआ।
यह
उनके
परिवार
के
लिए
गहरा
सदमा
था।
बाकी
बेटियां
और
बेटा
उनकी
विरासत
को
आगे
बढ़ा
रहे
हैं।
यह
भी
बता
दें
कि
पंडित
छन्नूलाल
मिश्र
को
संगीत
नाटक
अकादमी
पुरस्कार
(2000),
पद्मभूषण
(2010)
और
पद्मविभूषण
(2020)
से
सम्मानित
किया
गया।
वे
ऑल
इंडिया
रेडियो
और
दूरदर्शन
में
शीर्ष
ग्रेड
कलाकार
रहे।
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