International Girl Child Day 2025 : बालिकाओं के विकास, उत्थान से ही राष्ट्र का विकास जुड़ा है। जहां बालिकाएं अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन जीती हैं, उस देश में खुशहाली का दर भी अधिक हो सकता है। हालांकि बच्चियों को आज भी कई जगहों पर बोझ समझा जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में यह स्थिति चिंतनीय है। इसी कड़ी में हर साल 11 अक्टूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। यह दिन लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा, समान अवसरों और सशक्तिकरण को समर्पित है। 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह दिन तय किया ताकि समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच और समानता को बढ़ावा दियारा् जा सके।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
इस दिवस की जड़ें 1995 के बीजिंग महिला सम्मेलन से जुड़ी हैं, जहां दुनिया भर की महिलाओं ने एकजुट होकर लड़कियों के अधिकारों की आवाज उठाई। इसके बाद 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में घोषित किया। पहली बार इसे वर्ष 2012 में मनाया गया और तब से यह हर साल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 थीम
इस साल की थीम लड़कियों के नेतृत्व और उनकी स्वतंत्र पहचान पर केंद्रित है। यह संदेश देती है कि लड़कियां केवल भविष्य की आशा नहीं, बल्कि आज बदलाव लाने की असली शक्ति हैं। हर लड़की अपने अंदर समाज को दिशा देने की क्षमता रखती है बस उसे पहचान और अवसर की जरूरत है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में लड़कियाँ आज भी कई चुनौतियों का सामना करती हैं, बाल विवाह, शिक्षा से वंचित रहना, भेदभाव, या हिंसा। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हर लड़की को समान अधिकार मिलना चाहिए ,
- शिक्षा का अधिकार
- स्वास्थ्य व सुरक्षा
- आत्मनिर्भरता व सम्मान
- निर्णय लेने और नेतृत्व का अवसर
कैसे मनाया जाता है यह दिन?
- स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां छात्राएं अपने विचार रखती हैं।
- सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाएं वर्कशॉप, सेमिनार और कैम्पेन चलाती हैं।
- सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाकर बालिकाओं की उपलब्धियाँ साझा की जाती हैं।
- ‘एजुकेट अ गर्ल’ जैसे अभियान शुरू किए जाते हैं ताकि हर बच्ची तक शिक्षा पहुँचे।
- गांव-गांव में जनजागरूकता कार्यक्रम कर समाज को यह संदेश दिया जाता है कि बेटियाँ बोझ नहीं, गर्व हैं।
