Uttar Pradesh
oi-Divyansh Rastogi
Premanand
Maharaj
Pravachan:
आज
भी
कई
परिवारों
में
बेटे
की
चाहत
पुरानी
सोच
को
जिंदा
रखे
हुए
है।
‘परिवार
तभी
पूरा
जब
बेटा
हो’
–
ये
विचार
आज
के
दौर
में
भी
कई
घरों
में
गूंजता
है।
हाल
ही
में
वृंदावन
के
प्रसिद्ध
संत
प्रेमानंद
महाराज
जी
के
पास
एक
महिला
पहुंची
और
बोलीं,
‘महाराज,
मेरी
दो
बेटियां
हैं…
अब
मुझे
बस
एक
बेटा
चाहिए।’
संत
जी
का
जवाब
सुनकर
हर
कोई
भावुक
हो
गया।
ये
जवाब
न
सिर्फ
उस
महिला
के
लिए
था,
बल्कि
हर
उस
परिवार
के
लिए
सीख
है
जो
बेटी-बेटे
में
फर्क
करता
है।
आइए
जानते
हैं
पूरा
मामला
और
संत
जी
की
वो
बातें
जो
दिल
छू
लेंगी…

महिला
की
पुकार:
‘दो
बेटियां
हैं,
अब
बेटा
चाहिए’
एक
यूट्यूब
वीडियो
में
महिला
प्रेमानंद
महाराज
जी
से
कहती
हैं,
‘महाराज,
मेरी
दो
बेटियां
हैं
और
अब
मुझे
एक
बेटा
चाहिए।’
ये
सुनकर
संत
जी
मुस्कुराते
हैं
और
सवालों
की
झड़ी
लगा
देते
हैं।
वो
पूछते
हैं,
‘क्यों?
बेटा
क्यों
चाहिए?
बेटे
में
ऐसी
क्या
खासियत
है?’
महाराज
जी
आगे
समझाते
हैं,
‘बेटा
क्यों
होना
चाहिए?
बेटी
नौकरी
क्यों
नहीं
कर
सकती?
हमारे
देश
का
राष्ट्रपति
भी
तो
बेटी
ही
है
(द्रौपदी
मुर्मू
जी
का
जिक्र)।
आखिर
बेटे
में
ऐसा
कौन
सा
गुण
है
जो
बेटी
में
नहीं?’
संत
जी
का
दिल
छूने
वाला
जवाब:
बेटी
को
बेटे
की
तरह
समझो!
प्रेमानंद
महाराज
जी
ने
समाज
की
कुरीतियों
पर
करारा
प्रहार
किया।
वो
कहते
हैं,
‘यही
सबसे
बड़ी
समस्या
है।
बेटियों
के
प्रति
इतना
नीच
रवैया
क्यों?
गर्भ
में
ही
क्यों
मार
दिया
जाता
है?
बेटी
के
जन्म
पर
पिता
दुखी
क्यों
घूमता
है?’
संत
जी
की
सीख:
‘अगर
बेटी
है,
तो
उसे
बेटे
की
तरह
समझो।
अच्छी
परवरिश
दो,
संस्कार
दो।
योग्य
वर
से
विवाह
करो
और
संपत्ति
में
हिस्सा
दो।
बस
इतना
काफी
है।
जरूरी
नहीं
कि
बच्चा
बेटा
ही
हो!’
महाराज
जी
ने
बेटी
को
बोझ
नहीं,
बल्कि
वरदान
बताया।
वो
कहते
हैं,
‘बेटी
लक्ष्मी
का
रूप
है।
उसे
सशक्त
बनाओ,
वो
परिवार
का
नाम
रोशन
करेगी।’
क्यों
वायरल
हो
रहा
ये
वीडियो?
प्रेमानंद
महाराज
जी
के
ये
शब्द
सोशल
मीडिया
पर
तेजी
से
वायरल
हो
रहे
हैं।
लोग
कमेंट्स
में
लिख
रहे
हैं
–
‘संत
जी
ने
सच्चाई
पर
mirror
दिखाया’,
‘हर
पेरेंट्स
को
सुनना
चाहिए’,
‘बेटी-बेटे
बराबर!’
ये
मैसेज
हर
उस
परिवार
के
लिए
है
जहां
बेटियों
को
कम
आंका
जाता
है।
प्रेमानंद
महाराज
जी
वृंदावन
में
भक्ति
और
ज्ञान
की
अलख
जगाते
हैं।
उनके
प्रवचन
लाखों
लोगों
को
प्रेरित
करते
हैं।
ये
जवाब
न
सिर्फ
महिला
की
आंखें
खोल
गया,
बल्कि
पूरे
समाज
को
सोचने
पर
मजबूर
कर
रहा
है।
बेटी
बचाओ,
बेटी
पढ़ाओ
–
संत
जी
की
ये
सीख
हर
घर
में
गूंजनी
चाहिए!
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