Indian Language Committee: पहली बार उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की भाषाई स्किल बढ़ाने पर काम होगा। स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी प्रोग्राम के छात्रों को मातृभाषा के अलावा एक अन्य भारतीय भाषा पढ़ने, सीखने और जानने का मौका मिलने जा रहा है।
केंद्र सरकार, की भारतीय भाषा समिति की पहल का मकसद, छात्रों, शिक्षकों व कर्मियों की भाषाई स्किल व रोजगार क्षमता को बढ़ाना और अंतर-सांस्कृतिक समझ को मजबूत करना है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर कॉलेज अपने छात्रों को 22 भारतीय भाषाओं में से कोई तीन भाषाओं का विकल्प देंगे। इसमें छात्र अपनी मातृभाषा के अलावा एक अतिरिक्त भारतीय भाषा का चयन अपनी मर्जी से करेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) की पहल पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी राज्यों को पत्र लिखा है। इसमें लिखा है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक एकता और समावेशी विकास के लिए बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर ज़ोर देती है। इस संदर्भ में, एक पहल के रूप में, बीबीएस ने सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में ‘’ एक और भारतीय भाषा सीखें ‘’ को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। इसका मकसद, छात्रों और शिक्षकों को एक अतिरिक्त भारतीय भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करना है।
विशेष रूप से किसी अन्य राज्य या क्षेत्र से, ताकि अंतर-सांस्कृतिक समझ को मजबूत , रोजगार क्षमता को बढ़ाया और विकसित भारत@2047 के विज़न में योगदान देना है। इसके लिए समिति ने दिशानिर्देश भी तैयार किए हैं। इसमें पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रमों के लिए लक्षित जनसंख्या, भाषा पाठ्यक्रमों के लिए संसाधन सामग्री, भाषा पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षकों, पाठ्यक्रमों के कार्यान्वयन की रणनीति आदि शामिल है।
तीन तरह के कोर्स और मूल्यांकन नए क्रेडिट फ्रेमवर्क से संस्थान अपनी सुविधानुसार एबिलिटी एन्हांसमेंट कोर्स (एईसी),क्रेडिट कोर्स, ऑडिट कोर्स का चयन करेंगे। कोर्स तीन स्तर पर बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस होगा, जिसमें आसानी से एंट्री और एग्जिट का विकल्प मिलेगा। यह तीन अलग-अलग सेमेस्टर, तीन माइनर और नए क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत चलेगा। उच्च शिक्षण संस्थान इस भाषा कोर्स का डिजाइन खुद या किसी अन्य संस्थान या भाषा में पढ़ाई करवाने वाले संस्थान के साथ एमओयू के बाद ऑफर कर सकता है।
