Rajasthan
oi-Kumari Sunidhi Raj
Aravalli
Hills:
इनदिनों
अरावली
की
पहाड़ियां
(Aravali
Hills
Controversy)
चर्चा
का
विषय
बनी
हुई
हैं।
लेकिन
आज
हम
इस
से
जुड़े
विवादों
के
बारे
में
बात
नहीं
करने
वाले
हैं।
हम
बात
करने
वाले
हैं
राजस्थान
की
अरावली
पहाड़ियों
के
बीच
बसे
एक
ऐसे
किले
की
जिसे
‘मेवाड़
का
सुरक्षा
कवच’
कहा
जाता
है।
राजस्थान
की
तपती
रेतीली
धरती
से
दूर,
अरावली
की
ऊंची
और
दुर्गम
पहाड़ियों
के
बीच
एक
ऐसा
रहस्य
छिपा
है,
जिसे
देखकर
दुनिया
आज
भी
दांतों
तले
उंगली
दबा
लेती
है।
यह
है
कुम्भलगढ़
का
किला।
यह
किला
सिर्फ
पत्थरों
का
ढांचा
नहीं,
बल्कि
भारत
की
उस
ताकत
का
प्रतीक
है।
इसकी
दीवारें
आज
भी
इतिहास
की
गवाही
देती
हैं।
सन
1458-59
के
दौरान
तैयार
हुआ
यह
किला
मेवाड़
के
महाराणाओं
का
वह
अभेद्य
सुरक्षित
घर,
जिसे
वक्त
की
धूल
और
दुश्मनों
की
तलवारें
कभी
धुंधला
नहीं
कर
पाईं।

मुगलों
की
आंखों
में
क्यों
चुभता
था
कुम्भलगढ़
का
किला?
कल्पना
कीजिए
एक
ऐसी
दीवार
की,
जो
इतनी
चौड़ी
है
कि
उस
पर
आठ
घुड़सवार
एक
साथ
सरपट
दौड़
सकें।
इतनी
लंबी
कि
चीन
की
महान
दीवार
के
बाद
दुनिया
में
उसका
कोई
सानी
न
हो।
15वीं
शताब्दी
में
जब
महाराणा
कुम्भा
ने
इस
दुर्ग
की
नींव
रखी
थी,
तो
उन्होंने
सिर्फ
एक
पत्थर
की
इमारत
नहीं,
बल्कि
राजपूती
आन-बान
और
शान
का
एक
ऐसा
‘पहरेदार’
खड़ा
किया
था
जो
सदियों
तक
मुगलों
की
आंखों
में
खटकता
रहा।
ये
भी
पढ़ें:
Aravalli
Hills
Controversy:
राजस्थान
के
किन
जिलों
से
होकर
गुजरती
है
अरावली?
क्यों
दहशत
में
हैं
8
करोड़
लोग?
कहा
जाता
है
कि
मुगल
सम्राट
अकबर
ने
अपनी
पूरी
ज़िंदगी
में
कई
रियासतें
जीतीं,
लेकिन
कुम्भलगढ़
की
ऊंचाई
और
इसके
दुर्गम
रास्तों
ने
उसके
हौसले
हमेशा
पस्त
किए।
समुद्र
तल
से
1100
मीटर
की
ऊंचाई
पर
स्थित
यह
दुर्ग
बादलों
से
बातें
करता
है।
इसीलिए
इसके
सबसे
ऊंचे
महल
को
‘बादल
महल’
कहा
जाता
है।
इस
महल
के
दो
हिस्से
हैं,
मर्दाना
महल
और
जनाना
महल,
जहां
की
रंगीन
चित्रकारी
और
झरोखे
आज
भी
अपनी
चमक
बिखेरते
हैं।
यहां
की
हवाओं
में
आज
भी
महाराणा
प्रताप
के
बचपन
की
गूंज
और
पन्ना
धाय
के
उस
महान
बलिदान
की
कहानी
बसी
है,
जिसने
मेवाड़
का
भविष्य
बचा
लिया
था।
चीन
की
दीवार
को
टक्कर
देती
‘ग्रेट
वॉल
ऑफ
इंडिया’
(Great
Wall
of
China
vs
Great
Wall
of
India)
ज्यादातर
लोग
चीन
की
महान
दीवार
के
बारे
में
जानते
हैं,
लेकिन
बहुत
कम
लोगों
को
पता
है
कि
दुनिया
की
दूसरी
सबसे
लंबी
दीवार
भारत
में
है।
कुम्भलगढ़
किले
की
बाहरी
दीवार
36
किलोमीटर
लंबी
है।
यह
इतनी
विशाल
है
कि
इस
पर
8
घुड़सवार
एक
साथ
सरपट
दौड़
सकते
हैं।
यही
कारण
है
कि
इसे
भेदना
किसी
भी
सेना
के
लिए
नामुमकिन
था।
इस
दीवार
की
चौड़ाई
15
से
25
फीट
तक
है
और
इसके
निर्माण
में
बड़े-बड़े
पत्थरों
को
इस
तरह
जोड़ा
गया
है
कि
सदियों
बाद
भी
इसमें
एक
दरार
तक
नहीं
आई
है।
इतिहास
के
पन्नों
को
पलटें
तो
पता
चलता
है
कि
मुगल
बादशाह
अकबर
ने
भी
इस
किले
पर
कब्ज़ा
करने
के
लिए
अपनी
पूरी
ताकत
लगा
दी
थी।
लेकिन
इसकी
बनावट
ऐसी
थी
कि
कोई
भी
सेना
इसके
मुख्य
द्वार
तक
आसानी
से
नहीं
पहुंच
सकती
थी।
इसे
‘अजेय
दुर्ग’
कहा
जाता
है
क्योंकि
अपनी
पूरी
उम्र
में
यह
किला
कभी
युद्ध
में
सीधे
तौर
पर
नहीं
जीता
गया।
कहा
जाता
है
कि
केवल
एक
बार
पेयजल
की
कमी
और
विश्वासघात
के
कारण
मुगल,
आमेर
और
मारवाड़
की
संयुक्त
सेनाएं
इस
पर
अधिकार
कर
पाई
थीं,
लेकिन
वे
भी
इसे
ज्यादा
समय
तक
अपने
पास
नहीं
रख
सकीं।
‘मेवाड़
की
आंख’
(Kumbhalgarh
Fort:
Eye
of
Mewar)
किले
के
सबसे
ऊंचे
हिस्से
को
‘कटारगढ़’
कहते
हैं।
इसे
‘मेवाड़
की
आंख’
इसलिए
कहा
जाता
था
क्योंकि
यहां
से
मीलों
दूर
तक
दुश्मन
की
हर
हरकत
पर
नजर
रखी
जा
सकती
थी।
यह
महाराणा
कुम्भा
का
निजी
निवास
स्थान
भी
था।
कहा
जाता
है
कि
इस
महल
की
ऊंचाई
इतनी
ज्यादा
है
कि
नीचे
से
ऊपर
देखने
पर
सिर
की
पगड़ी
गिर
जाती
है-यह
प्रसिद्ध
कथन
महान
इतिहासकार
अबुल
फजल
ने
इस
दुर्ग
की
भव्यता
को
देखकर
कहा
था।
महाराणा
प्रताप
की
जन्मस्थली
(Birthplace
of
Maharana
Pratap)
कुम्भलगढ़
का
महत्व
सिर्फ
युद्धों
तक
सीमित
नहीं
है।
यह
वीर
शिरोमणि
महाराणा
प्रताप
की
जन्मस्थली
भी
है।
9
मई,
1540
को
इसी
किले
के
‘बादल
महल’
में
प्रताप
का
जन्म
हुआ
था।
वो
कमरा
आज
भी
कुम्भलगढ़
किले
में
मौजूद
है।
जब
चित्तौड़गढ़
पर
संकट
आता
था,
तब
मेवाड़
के
शासक
कुम्भलगढ़
को
ही
अपना
सुरक्षित
ठिकाना
बनाते
थे।
बचपन
में
उदय
सिंह
(भावी
महाराणा
प्रताप
के
पिता)
की
जान
बचाने
के
लिए
पन्ना
धाय
उन्हें
इसी
दुर्ग
में
लेकर
आई
थीं,
जहाँ
उन्हें
सामंत
आशा
देवपुरा
ने
शरण
दी
थी।
360
मंदिर
का
गढ़
किले
के
अंदर
का
नजारा
किसी
सपने
जैसा
है।
यहां
360
से
ज्यादा
प्राचीन
मंदिर
बने
हुए
हैं,
जिनमें
से
300
मंदिर
प्राचीन
जैन
मंदिर
हैं
और
60
हिंदू
मंदिर
हैं।
इनमें
‘नीलकंठ
महादेव
मंदिर’
सबसे
प्रमुख
है,
जहाँ
स्थापित
शिवलिंग
की
ऊंचाई
लगभग
5
फीट
है।
हर
शाम
जब
पूरा
किला
रोशनी
से
जगमगाता
है,
तो
इसकी
भव्यता
देखने
लायक
होती
है।
अरावली
की
गहरी
घाटियों
के
बीच
लाइट
एंड
साउंड
शो
के
दौरान
जब
मेवाड़
का
इतिहास
गूंजता
है,
तो
पर्यटकों
के
रोंगटे
खड़े
हो
जाते
हैं।
कुम्भलगढ़
किला
खुलने
का
समय
(Kumbhalgarh
Fort
Timings)
यह
किला
पर्यटकों
के
लिए
सप्ताह
के
सातों
दिन
खुला
रहता
है।
-
प्रवेश
का
समय:
सुबह
9:00
बजे
से
शाम
6:00
बजे
तक। -
लाइट
एंड
साउंड
शो:
शाम
6:45
PM
से
7:30
PM
तक
(समय
मौसम
के
अनुसार
थोड़ा
बदल
सकता
है)।
नोट:
किले
को
पूरा
घूमने
के
लिए
कम
से
कम
2-3
घंटे
का
समय
हाथ
में
लेकर
चलें।
कुम्भलगढ़
किला
टिकट
शुल्क
(Kumbhalgarh
Fort
Entry
Fee)
भारतीय
पुरातत्व
सर्वेक्षण
(ASI)
के
अनुसार
वर्तमान
शुल्क
इस
प्रकार
है:
-
भारतीय
पर्यटक:
₹40
प्रति
व्यक्ति। -
सार्क
(SAARC)
और
बिम्सटेक
(BIMSTEC)
देशों
के
पर्यटक:
₹40
प्रति
व्यक्ति। -
विदेशी
पर्यटक:
₹600
प्रति
व्यक्ति। -
15
वर्ष
से
कम
आयु
के
बच्चे:
निःशुल्क
प्रवेश। -
लाइट
एंड
साउंड
शो
(अतिरिक्त):
लगभग
₹100
प्रति
व्यक्ति।
कुम्भलगढ़
किला
कैसे
पहुंचें
(How
to
Reach
Kumbhalgarh
Fort)
कुम्भलगढ़
राजस्थान
के
राजसमंद
जिले
में
स्थित
है
और
यहां
पहुंचने
के
लिए
सड़क
मार्ग
सबसे
बेहतर
विकल्प
है:
हवाई
मार्ग
(By
Air):
सबसे
नजदीकी
हवाई
अड्डा
उदयपुर
(महाराणा
प्रताप
एयरपोर्ट)
है,
जो
किले
से
लगभग
100-110
किमी
दूर
है।
वहाँ
से
आप
टैक्सी
लेकर
2-3
घंटे
में
किला
पहुंच
सकते
हैं।
रेल
मार्ग
(By
Train):
नजदीकी
प्रमुख
रेलवे
स्टेशन
उदयपुर
और
फालना
हैं।
फालना
से
किले
की
दूरी
लगभग
50
किमी
है,
जबकि
उदयपुर
से
85-90
किमी।
सड़क
मार्ग
(By
Road):
-
उदयपुर
से:
आप
बस
या
प्राइवेट
टैक्सी
ले
सकते
हैं
(किराया
₹3000-4000
राउंड
ट्रिप)। -
जोधपुर
से:
यह
लगभग
175
किमी
दूर
है,
जहाँ
पहुँचने
में
4-5
घंटे
लगते
हैं।
नोट:
राजस्थान
रोडवेज
की
बसें
उदयपुर
से
‘सायरा’
या
‘नाथद्वारा’
तक
चलती
हैं,
जहां
से
आप
स्थानीय
ऑटो
या
टैक्सी
ले
सकते
हैं।
ये
भी
पढ़ें:
Lohagarh
Fort:
अरावली
की
पहाड़ियों
के
बीच
बना
है
भव्य
किला,
तोड़ा
था
मुगलों
और
अंग्रेजों
का
घमंड
-

Camera Mobile ban women: महिलाओं के लिए स्मार्टफोन बैन, अजीबोगरीब फरमान से हड़कंप, वजह क्या?
-

Indian Railways: AC ट्रेन टिकट बुक कर रहे हैं? पहले जान लीजिए फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड एसी में क्या होता है अंतर
-

MP CM Kisan Kalyan Yojana 14th Installment: किसानों को सीएम किसान योजना की 14वीं किस्त कब मिलेगी? जानिए तारीख
-

UP School Closed: स्कूल जाने से पहले छात्र-छात्राएं चेक करें DM का आदेश, इन जिलों में बंद रहेंगे विद्यालय
-

Preity Zinta MMS Leak: प्रीति जिंटा का MMS हुआ लीक? बाथरूम के वीडियो ने मचाई सनसनी, क्या है सच?
-

कौन हैं 63 साल के BJP नेता, जिन्होंने कांग्रेस की 18 साल छोटी महिला नेत्री से की चौथी शादी, लेकिन अब हुआ विवाद
-

Bengaluru Power Cut: बेंगलुरू के कई इलाकों में 7 घंटे बिजली रहेगी गुल, BESCOM ने जारी की प्रभावित एरिया List
-

IAS Tina Dabi: ‘दो प्रेम कहानियों वाली आईएएस कैसे हो सकती है रोल मॉडल’, टीना डाबी पर क्यों भड़के लोग?
-

Libya Army Chief Death: इमरजेंसी लैंडिंग की इजाजत के बाद आर्मी चीफ की दर्दनाक मौत, सामने आया PAK कनेक्शन
-

Radhika Apte MMS Leak: राधिका आप्टे का बाथरूम वीडियो हुआ लीक? क्या है इस प्राइवेट क्लिप की सच्चाई?
-

Year Ender 2025: Muskan Rastogi से Nikki तक, 11 बड़ी आपराधिक घटनाएं, जिन्होंने देश को सन्न कर दिया!
-

Kanchana Yadav: ’40 साल की नवनीत राणा पैदा करें 20 बच्चे’, कौन हैं कंचना यादव जिसने खोला BJP के खिलाफ मोर्चा?
