बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले 13वें राष्ट्रीय संसदीय चुनावों से पहले देश के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इनके मद्देनजर, जुलाई विद्रोह के बाद गठित छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के साथ चुनावी गठबंधन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। ये दोनों ही पार्टियां भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती हैं। फिलहाल दोनों में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चाएं जारी हैं।
गत वर्ष पूर्व पीएम शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले जुलाई विद्रोह के नेताओं में से एक और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के पूर्व समन्वयक अब्दुल कादर के अनुसार, एनसीपी चुनावों से पहले गठबंधन के लिए जमात के साथ वार्ता कर रही है। कादर ने कहा, यदि बातचीत योजना के अनुरूप चली तो सप्ताहांत गठबंधन की आधिकारिक घोषणा संभव है। जमात-ए-इस्लामी का बांग्लादेश में पाकिस्तान के पिट्ठू के तौर पर काम करने और भारत विरोध का दशकों पुराना इतिहास रहा है।
वहीं एनसीपी का गठन बीते साल शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन करने वाले छात्र नेताओं ने किया है। इसके नेता भी शुरुआत से ही भारत विरोधी रहे हैं। कादर बोले, गठबंधन नहीं हुआ तो पार्टी सियासी पहचान खो सकती है। गठबंधन पर अधिकृत प्रतिक्रिया प्रतीक्षित है। एजेंसी
एनसीपी में हैं मतभेद
गत वर्ष बनीं नई पार्टी एनसीपी किसी पुराने राजनीतिक दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है। पार्टी नेताओं ने इसके लिए पहले बीएनपी से गठबंधन की कोशिश की लेकिन सीट बंटवारे पर बात अटक गई। इसके बाद जमात से पार्टी ने संपर्क किया और इस बार बातचीत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ी। हालांकि एनसीपी का एक बड़ा धड़ा जमात संग गठबंधन के विरोध में है, क्योंकि ये नेता तारिक रहमान के बांग्लादेश लौटने के बाद बीएनपी से ही चर्चा के पक्ष में हैं।
नौ जनवरी को ढाका में सामूहिक रैली
इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (आईएबी) नौ जनवरी को ढाका में एक रैली करेगा। इसमें शरीफ उस्मान हादी की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग की जाएगी।
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दीपू के परिजनों को हिंदू महाजोत का समर्थन
बांग्लादेश राष्ट्रीय हिंदू महाजोत के केंद्रीय कार्यकारी समिति के महासचिव मृत्युंजय कुमार रॉय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 18 दिसंबर को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाले गए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास के घर पहुंचा और परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने दीपू के परिजनों को समर्थन दोहराया और 50,000 टका की नकद सहायता भी प्रदान की। उसने सरकार से न्याय की मांग भी की।
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