Bihar
oi-Sumit Jha
Upendra
Kushwaha
RLM
MLA:
बिहार
की
राजनीति
में
उपेंद्र
कुशवाहा
की
पार्टी
‘राष्ट्रीय
लोक
मोर्चा’
(RLM)
गहरे
संकट
में
घिरी
नजर
आ
रही
है।
हालिया
विधानसभा
चुनाव
में
एनडीए
के
साथ
मिलकर
4
सीटें
जीतने
के
बाद
भी
पार्टी
के
भीतर
‘पुत्र
मोह’
को
लेकर
बगावत
छिड़
गई
है।
कुशवाहा
द्वारा
अपने
बेटे
दीपक
प्रकाश
को
मंत्री
बनाए
जाने
से
पार्टी
के
विधायक
और
वरिष्ठ
नेता
बुरी
तरह
नाराज
हैं।
बुधवार
को
पटना
में
आयोजित
डिनर
पार्टी
से
3
विधायकों
की
गैरमौजूदगी
ने
इस
दरार
को
सार्वजनिक
कर
दिया
है।
ये
बागी
विधायक
न
केवल
बैठक
से
दूर
रहे,
बल्कि
भाजपा
के
शीर्ष
नेतृत्व
के
साथ
मुलाकात
कर
नई
सियासी
खिचड़ी
पकाते
नजर
आए।

Bihar
Politics:
कौन
हैं
वो
3
बागी
विधायक?
कुशवाहा
की
नींद
उड़ाने
वाले
इन
तीन
चेहरों
में
माधव
आनंद
(मधुबनी),
रामेश्वर
महतो
(बाजपट्टी)
और
आलोक
कुमार
सिंह
(दिनारा)
शामिल
हैं।
माधव
आनंद
पार्टी
के
राष्ट्रीय
प्रवक्ता
और
कुशवाहा
के
संकटमोचक
रहे
हैं,
जबकि
रामेश्वर
महतो
और
आलोक
सिंह
का
अपने
क्षेत्रों
में
मजबूत
जनाधार
है।
इन
तीनों
विधायकों
ने
बुधवार
को
कुशवाहा
के
आवास
पर
आयोजित
भोज
में
शामिल
होने
के
बजाय
पटना
में
ही
रहकर
दूरी
बनाए
रखी।
उनकी
यह
चुप्पी
पार्टी
में
बड़ी
टूट
का
स्पष्ट
संकेत
दे
रही
है।
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RLM
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बीजेपी
अध्यक्ष
से
मुलाकात
के
मायने
सियासी
बवाल
तब
और
बढ़
गया
जब
ये
तीनों
विधायक
भाजपा
के
राष्ट्रीय
कार्यकारी
अध्यक्ष
नितिन
नबीन
से
मुलाकात
की।
हालांकि,
इस
मुलाकात
को
शिष्टाचार
भेंट
बताया
जा
रहा
है,
लेकिन
राजनीतिक
जानकार
इसे
‘ऑपरेशन
लोटस’
या
विधायकों
के
पाला
बदलने
की
तैयारी
के
रूप
में
देख
रहे
हैं।
आरएलएम
के
ये
विधायक
कुशवाहा
के
‘परिवारवाद’
के
खिलाफ
भाजपा
में
अपना
भविष्य
सुरक्षित
देख
रहे
हैं,
जिससे
बिहार
एनडीए
के
समीकरण
बदल
सकते
हैं।
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का
असली
सच
आया
सामने
बेटे
की
ताजपोशी
बनी
गले
की
हड्डी
बगावत
की
मुख्य
जड़
उपेंद्र
कुशवाहा
के
बेटे
दीपक
प्रकाश
को
नीतीश
कैबिनेट
में
शामिल
किया
जाना
है।
पार्टी
के
पुराने
संघर्षशील
नेताओं
का
मानना
है
कि
कुशवाहा
ने
अपने
समाजवादी
सिद्धांतों
को
तिलांजलि
देकर
‘बेटे’
को
तवज्जो
दी।
इस
फैसले
के
विरोध
में
प्रदेश
अध्यक्ष
महेंद्र
कुशवाहा
और
उपाध्यक्ष
जितेंद्र
नाथ
पहले
ही
इस्तीफा
दे
चुके
हैं।
अब
विधायकों
का
सामूहिक
रूप
से
बागी
होना
यह
दर्शाता
है
कि
कुशवाहा
का
‘कुनबा’
बिखरने
की
कगार
पर
है।
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तो
QR
कोड
से
करें
शिकायत,
मिनटों
में
होगी
कार्रवाई,
जाने
पूरी
प्रक्रिया
अधर
में
कुशवाहा
की
पार्टी
का
सियासी
भविष्य
राष्ट्रीय
लोक
मोर्चा
के
पास
कुल
4
विधायक
हैं,
जिनमें
से
एक
उपेंद्र
कुशवाहा
की
पत्नी
स्नेहलता
कुशवाहा
(सासाराम)
हैं।
यदि
बाकी
तीनों
विधायक
(माधव
आनंद,
रामेश्वर
महतो
और
आलोक
सिंह)
पार्टी
छोड़ते
हैं,
तो
तकनीकी
रूप
से
यह
पूरी
पार्टी
का
विलय
या
विभाजन
माना
जाएगा।
इससे
उपेंद्र
कुशवाहा
की
मोलभाव
करने
की
शक्ति
(Bargaining
Power)
एनडीए
के
भीतर
खत्म
हो
सकती
है।
2025
के
इस
सियासी
ड्रामे
ने
कुशवाहा
को
अपनों
के
ही
बीच
अलग-थलग
कर
दिया
है।
