हर घर में उपयोग होने वाली अगरबत्ती में खतरनाक रसायन मिलने की जानकारी सामने आई है। ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक नया गुणवत्ता मानक पेश किया है। इस नए मानक से 8,000 करोड़ रुपये के उद्योग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। भारत अगरबत्ती का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है।
उपभोक्ता सुरक्षा और नियामक अनुपालन पर बढ़ते जोर के साथ कुछ सुगंधित तत्वों और रसायनों पर वैश्विक प्रतिबंधों को देखते हुए अगरबत्ती के लिए एक विशेष भारतीय मानक आईएस 19412:2025 विकसित किया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा, नए मानक का पालन करने वाले उत्पादों पर बीआईएस मानक चिह्न भी लगाया जा सकता है। इससे उपभोक्ताओं को सोच-समझकर और विश्वास के साथ चुनाव करने में मदद मिलेगी।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अगरबत्ती बनाने में उपयोग के लिए प्रतिबंधित पदार्थों की सूची तय करता है। इसमें एलेथ्रिन, परमेथ्रिन, साइपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन और फिप्रोनिल जैसे कुछ कीटनाशक रसायन साथ ही बेंजाइल साइनाइड, एथिल एक्रिलेट और डाइफेनिलमाइन जैसे सिंथेटिक सुगंध मध्यवर्ती पदार्थ शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा, इनमें से कई पदार्थ स्वास्थ्य और घर के अंदर की वायु गुणवत्ता पर संभावित प्रभाव के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित हैं।
ये नियम किए गए तय
नए गुणवत्ता मानक के तहत अगरबत्ती को मशीन से बनी, हाथ से बनी और पारंपरिक मसाला अगरबत्ती में वर्गीकृत किया गया है। कच्चे माल, जलने की गुणवत्ता, सुगंध और रासायनिक मापदंडों के लिए आवश्यकताएं तय की गई हैं। अगरबत्ती उद्योग 150 से अधिक देशों को सालाना 1,200 करोड़ रुपये के उत्पाद निर्यात करता है। प्रमुख बाजार अमेरिका, मलयेशिया, नाइजीरिया, ब्राजील और मैक्सिको हैं।
बेहतर सामग्री का होगा प्रयोग
अब तक मानक नहीं होने से कई खतरनाक रसायनों का प्रयोग अगरबत्ती में हो रहा था। मानक बनाने से बेहतर सामग्री का प्रयोग हो सकेगा। हालांकि, ये मानक स्वैच्छिक हैं। –निधि खरे, उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव
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