Harvard Business Review: आज संगठनों में फीडबैक पर तो जोर दिया जा रहा है, लेकिन उसका असली उद्देश्य कई बार लोग भूल जाते हैं। फीडबैक का मकसद व्यक्ति को अपने काम को बेहतर समझने, अपनी क्षमता का सही उपयोग करने और टीम के साथ प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करना होता है। इसमें लीडर की भूमिका अहम होती है। उन्हें ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जहां फीडबैक डर नहीं, बल्कि सीखने का अवसर बने। प्रभावी फीडबैक वही है, जो स्पष्ट रूप से बताए कि क्या सुधारना है और आगे कैसे बेहतर किया जा सकता है।

2 of 5
गलतियां ढूंढने वाला न बनें
– फोटो : Freepik
गलतियां ढूंढने वाला न बनें
जब लीडर हर बात में गलती निकालने वाला न होकर टीम का साथ देने वाला बनता है, तभी अच्छे काम की संस्कृति बनती है। ऐसा लीडर अपने व्यवहार से यह दिखाता है कि वह अपनी टीम पर भरोसा करता है, उनकी परवाह करता है और उनके साथ खड़ा है। इससे कर्मचारी बिना डर के अपनी बात कह पाते हैं।
अगर कोई सहकर्मी काम में परेशान है, तो उसे डांटने के बजाय उसकी समस्या को समझना और उसे यह भरोसा दिलाना कि वह मुश्किलों को पार कर सकता है, एक समझदार नेतृत्व की पहचान है। जब कर्मचारियों को ऐसा सहयोग मिलता है, तो वे खुद बेहतर करने की कोशिश करते हैं।

3 of 5
सकारात्मक नतीजों पर दें ध्यान
– फोटो : Freepik
सकारात्मक नतीजों पर दें ध्यान
अक्सर फीडबैक में पुरानी गलतियों पर जोर दिया जाता है, जबकि अच्छे लीडर भविष्य पर ध्यान देते हैं। जब कर्मचारियों से उनके आगे के लक्ष्यों के बारे में पूछा जाता है और लक्ष्य स्पष्ट व सकारात्मक होते हैं, तो उनमें स्वाभाविक रूप से उत्साह पैदा होता है। इसी दृष्टिकोण से समस्या को देखने पर नए अवसर भी दिखाई देने लगते हैं।

4 of 5
छिपे अवसर पहचानें
– फोटो : Freepik
छिपे अवसर पहचानें
जब लीडर और कर्मचारी दोनों के बीच यह स्पष्ट हो जाता है कि असली लक्ष्य क्या है, तब समस्या को एक नई दृष्टि से देखा जा सकता है। इस चरण में समस्या को केवल तुरंत सुलझाने पर ध्यान देने के बजाय यह समझना जरूरी होता है कि यह बेहतर परिणाम पाने में कैसे सहायक हो सकती है। अक्सर ऐसी समस्याएं सुधार के नए रास्ते खोलती हैं, मूल्यों और लक्ष्यों को पाने के लिए नए तरीकों की ओर ले जाती हैं, या संगठन में छिपी हुई बड़ी कमियों को पहचानने और उन्हें दूर करने का अवसर देती हैं।

5 of 5
कार्य योजना बनाते चलें
– फोटो : Freepik
कार्य योजना बनाते चलें
लीडर और कर्मचारी मिलकर पहचाने गए अवसर को एक स्पष्ट और व्यावहारिक कार्य योजना में बदलते हैं, जिसमें यह तय किया जाता है कि कौन-सा लक्ष्य हासिल करना है और उसे कब तक पूरा करना है। इसके बाद लीडर समय-समय पर फीडबैक देते रहते हैं, तो इस पूरी प्रक्रिया में निरंतर सीख और सुधार को भी समान रूप से महत्व दिया जाता है।
