Language Learning: पिछले कुछ वर्षों में कोरियाई संस्कृति की लहर, जिसे हल्लु कहा जाता है, दुनिया भर में फैल चुकी है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। यह सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कई युवा कोरियाई भाषा सीखने के लिए प्रेरित हुए हैं। आने वाले समय में भारत और कोरिया के बीच व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और पर्यटन के बढ़ते संबंधों से कोरियाई भाषा सीखने वालों के लिए मौके और बढ़ेंगे।
इसलिए कोरियाई भाषा का अध्ययन केवल एक भाषा कौशल नहीं, बल्कि एक अच्छा कॅरिअर निवेश बन गया है। कोरियाई भाषा सीखने से भारतीय युवाओं को सांस्कृतिक समझ बढ़ाने के साथ-साथ नए रोजगार और कॅरिअर अवसर भी मिल रहे हैं।

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सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : freepik
भाषा की सरल संरचना
आज कोरियाई भाषा केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्र इसे गीतों, सबटाइटल्स और ऑनलाइन कोर्सों के माध्यम से भी सीख रहे हैं। कोरियाई लिपि हांगुल की तार्किक और सरल संरचना कई लोगों को आकर्षित करती है। कई विद्यार्थी अपने नाम हांगुल में लिखने का अभ्यास करते हैं और ‘अनन्योंगहासेयो’ (नमस्ते) तथा ‘खामसाहामनिदा’ (धन्यवाद) जैसे बुनियादी अभिवादन सीखते हैं।

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सांकेतिक तस्वीर
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नए कोरियाई पाठ्यक्रम
भारतीय विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थानों ने इस बढ़ती रुचि को पहचानते हुए कोरियाई भाषा के पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। नई दिल्ली स्थित कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र और कई शैक्षणिक संस्थान कोरियाई भाषा की कक्षाएं संचालित कर रहे हैं। वहीं, कई विश्वविद्यालयों में प्रथम वर्ष के बीटेक छात्रों के लिए कोरियाई भाषा का पाठ्यक्रम भी शामिल किया गया है।

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सांकेतिक तस्वीर
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एक ऐसी संस्कृति
कोरियाई संस्कृति का प्रभाव केवल भाषा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक संवेदनशीलता और सहानुभूति को भी बढ़ाता है। कोरियाई समाज में पारिवारिक संबंध, बड़ों का सम्मान और सामाजिक सामंजस्य जैसे मूल्य पाए जाते हैं, जो भारतीय परंपराओं से काफी मेल खाते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया से सीखी गई भाषा की सीमाएं भी होती हैं। इसलिए शिक्षक सलाह देते हैं कि विद्यार्थियों को सोशल मीडिया से सीखने के साथ-साथ कक्षा शिक्षण को भी जोड़ना चाहिए, ताकि भाषा का सही ज्ञान प्राप्त हो सके।

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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नौकरियों की भरमार
भारत में सैमसंग, ह्युंडई, एलजी, किआ और पोस्को जैसी बड़ी कोरियाई कंपनियों में ऐसे कर्मचारियों की जरूरत होती है, जो कोरियाई भाषा, संचार शैली और कार्यसंस्कृति को समझते हों। इसके अलावा अनुवादक, दुभाषिया, टूर गाइड और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सलाहकार जैसे क्षेत्रों में भी इनकी मांग बढ़ रही है।
कोरियाई दूतावास, कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र और कई शिक्षण संस्थान भी प्रशिक्षित शिक्षकों की तलाश करते रहते हैं। साथ ही फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन शिक्षण, यूट्यूब कंटेंट निर्माण और मीडिया सबटाइटलिंग जैसे क्षेत्रों में भी इस भाषा का ज्ञान लाभदायक साबित हो रहा है।
