पहले प्रयास में ही रचा कमाल
टोक्यो में खेले गए इस फाइनल में सचिन ने अपने पहले ही प्रयास में 86.27 मीटर का थ्रो किया, जो उनके पिछले व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ (85.16 मीटर) से बेहतर था। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया। त्रिनिदाद एवं टोबैगो के केशोर्न वालकॉट (88.16 मीटर) ने स्वर्ण और ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स (87.38 मीटर) ने रजत पर कब्जा जमाया। अमेरिकी खिलाड़ी कर्टिस थॉम्पसन 86.67 मीटर के साथ कांस्य पदक लेकर तीसरे स्थान पर रहे।
नीरज-नदीम भी रह गए पीछे
मौजूदा विश्व चैंपियन और भारत के स्टार नीरज चोपड़ा इस बार अपने रंग में नहीं दिखे और 82.00 मीटर से कम थ्रो के कारण आठवें स्थान पर रहे। पाकिस्तान के अरशद नदीम 82.75 मीटर के थ्रो के साथ दसवें स्थान पर रहे। जूलियन वेबर, जिन्हें गोल्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, 86.11 मीटर के साथ पांचवें स्थान पर रहे।
क्रिकेट से हुई भाला फेंक की शुरुआत
सचिन यादव का भाला फेंक में आना भी दिलचस्प कहानी है। गांव में खेले जा रहे एक दोस्ताना क्रिकेट मैच के दौरान उनके पड़ोसी संदीप यादव ने उन्हें तेज गेंदबाजी करते देखा। उन्होंने सचिन से कहा कि उनके कंधे की गति शानदार है और उन्हें भाला फेंक आजमाना चाहिए। यही वह क्षण था जिसने सचिन की जिंदगी की दिशा बदल दी।
कोच नवल सिंह से मिली नई राह
शुरुआत में सचिन के पास कोई प्रोफेशनल कोच नहीं था और संदीप ही उन्हें गाइड कर रहे थे। बाद में संदीप ने उन्हें दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम स्थित राष्ट्रीय भाला फेंक अकादमी में कोच नवल सिंह से मिलवाया। नवल सिंह ने पहले ओलंपियन शिवपाल सिंह और पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल जैसे एथलीट तैयार किए हैं।




