उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव के दीपोत्सव और मोमबत्ती वाले सुझाव पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव का यह बयान हिंदू परंपराओं और आस्था का अपमान है। मौर्य ने यह भी कहा कि “2047 विजन डॉक्यूमेंट” पर अखिलेश की टिप्पणी प्रधानमंत्री का नहीं बल्कि पूरे देश का अपमान है और उन्हें इसके लिए तुरंत माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने अखिलेश यादव के बयानों को अपमानजनक बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में “वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया” का राज था। भाजपा नेताओं का तर्क है कि जब अखिलेश यादव सत्ता में थे, तब जमीनों पर कब्जे और गुंडागर्दी आम थी, इसलिए उन्हें सुशासन पर सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
संवैधानिक संस्थाओं पर हमला: भाजपा के केंद्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं ने अखिलेश के “ईवीएम” और “वोट चोरी” के आरोपों को हार की हताशा बताया। भाजपा का कहना है कि जब सपा हारती है तो वह चुनाव आयोग और संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप मढ़ने लगती है, जबकि जीत मिलने पर वह शांत रहती है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और अन्य मंत्रियों ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा प्रमुख केवल तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं। भाजपा नेताओं ने कहा कि सपा राज में भ्रष्टाचार और भेदभाव चरम पर था, जबकि वर्तमान सरकार बिना किसी भेदभाव के सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम कर रही है।
