Mental Health: युवाओं में तेजी से बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनी हुई हैं। हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि कम उम्र के लोग, छात्रों में ये खतरा और तेजी से बढ़ता जा रहा है। अमर उजाला में प्रकाशित रिपोर्ट में हमने बताया कि देश के 70% छात्रों में एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है, जिसके कारण संपूर्ण स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है।
जब भी बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो सबसे पहले हमारा ध्यान स्ट्रेस-एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी स्थितियों पर जाता है पर क्या आप जानते हैं कि मेंटल हेल्थ की ये समस्याएं आपके शारीरिक सेहत पर भी गंभीर असर डालने वाली हो सकती हैं?
दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के बारे में लोगों को शिक्षित करने, जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थय में सुधार के प्रयासों को गति प्रदान करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
मनोचिकित्सक कहते हैं, मेंटल हेल्थ को ठीक रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ये समस्याएं हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज और मेटाबॉलिज्म पर भी असर डालने वाली हो सकती है। आइए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को जानते हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा
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शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य का लिंक
हम में से ज्यादातर लोग मन और शरीर को अक्सर अलग-अलग मानते हैं, लेकिन ये समझना जरूरी है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य वास्तव में आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। बदले में, खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों का मेंटल हेल्थ ठीक था उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य जैसे अक्सर तनाव में रहने वाले लोगों की तुलना में दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम पाया गया। इन दोनों का लिंक क्या है, अब आइए इसे समझते हैं।

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ब्लड प्रेशर की समस्या
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स्ट्रेस-एंग्जाइटी का शारीरिक स्वास्थ्य पर असर
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ रितिका सहायक कहती हैं, जब व्यक्ति लगातार तनाव या चिंता में रहता है, तो इसका असर सीधे उसके शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। स्ट्रेस और एंग्जाइटी शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन बढ़ा देते हैं, जो धीरे-धीरे दिल, पाचन, नींद और इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं।
इसी तरह अगर आप पहले से ही किसी बीमारी जैसे डायबिटीज, थायरॉयड का शिकार हैं तो इसके कारण भी मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ता है। ऐसे लोगों में उदासी, थकान और डिप्रेशन का खतरा अधिक हो सकता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि लगातार तनाव, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। शरीर फाइट मोड में चला जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। लंबे समय तक ऐसा रहने पर हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। स्ट्रेस और एंग्जाइटी में रहने वाले लोगों में हृदय रोगों का खतरा 40% अधिक देखा गया है, ये स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

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डायबिटीज का खतरा
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डायबिटीज और नींद की समस्या
जिन लोगों का शुगर लेवल अक्सर बढ़ा हुआ रहता है ऐसे लोगों में मेंटल हेल्थ की समस्या जैसे स्ट्रेस और डिप्रेशन होने का खतरा भी अधिक हो सकता है। मधुमेह से पीड़ित लोगों में अवसाद होने का जोखिम लगभग दोगुना देखा गया है। इसका मतलब है कि डायबिटीज के शिकार लोगों को आंखों, किडनी, तंत्रिकाओं को स्वस्थ रखने के प्रयासों के साथ अपनी मानसिक सेहत का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए।
इसी तरह से स्ट्रेस और एंग्जाइटी के कारण दिमाग को हमेशा सक्रिय रहना पड़ता है। इससे व्यक्ति को नींद की दिक्कतें हो सकती हैं। नींद की कमी को पहले से ही ध्यान, मूड और प्रतिरोधक क्षमता की कमजोरी से संबंधित पाया है।

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संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी
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शारीरिक समस्याओं का मानसिक स्वास्थ्य पर असर
जिस तरह से मेंटल हेल्थ की समस्याएं शारीरिक सेहत पर असर डालती हैं उसी तरह से शारीरिक बीमारियों के कारण भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, गठिया और कैंसर जैसी बीमारियों का दिमाग पर लगातार दबाव बना रहता है। इससे उदासी, चिड़चिड़ापन, आत्मविश्वास की कमी और कभी-कभी डिप्रेशन तक की स्थिति बन जाती है।
अध्ययनों से ये भी पता चलता है कि लगातार शारीरिक दर्द से गुजरने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा तीन गुना अधिक होता है। इसलिए संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर ध्यान देना जरूरी है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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